हिन्दुओं के लिए पतित-पावनी है गंगाः 22 रोचक तथ्य

भारतीय संस्कृति में नदियों का खास महत्व है। देखा जाए तो
हर सभ्यता के विकास का मार्ग नदियों ने ही प्रशस्त किया
है। लेकिन इस देश में गंगा नदी को जो स्थान प्राप्त है, दुनिया
में शायद ही किसी नदी को यह
हासिल हो। भारत में इसे पवित्र और आस्था के प्रतीक के
तौर पर देखा जाता है। हिन्दू मानते हैं कि गंगा समस्त मानव-जाति के लिए
ईश्वर-प्रदत्त उपहार है। यहां हम बात करेंगे, उन 22 रोचक तथ्यों
की जिनकी वजह से गंगा हिन्दुओं के लिए
पूजनीय है।
1. माना जाता है कि गंगा का जन्म सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु के
चरणों से हुआ था।
मान्यताओं के मुताबिक भगवान विष्णु अपने पैरों से ब्रह्मांड को माप रहे
थे। तभी उनके पैर के अंगूठे का दबाव पृथ्वी पर
पड़ने की वजह से जल-धारा फूट पड़ी। इस
ईश्वरीय धारा को बाद में गंगा का नाम दिया गया।
2. गंगा को भागवत पदी भी कहा जाता है। यानि
उनकी उत्पत्ति ईश्वर के चरण कमल से हुई
थी।
मान्यता है कि भगवान विष्णु के पैर गुलाबी कमल रूप में हैं।
यही वजह है कि गंगा का रंग गुलाबी माना गया
है।

3. पुराणों के मुताबिक धरती पर अपनी यात्रा शुरू
करने से पहले गंगा भगवान ब्रह्मा के निवास-स्थल ब्रह्मलोक में निवास
करती थीं।

4. एक किंवदन्ती के अनुसार पृथ्वी पर गंगा का
अवतरण राजा भागीरथ के कठिन तप से हुआ था। राजा
भागीरथ के 5500 सालों तक की घोर तपस्या से
खुश होकर देवी गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं और
उनके शापित पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति देना
स्वीकार कर लिया।

कहा जाता है कि जब चक्रवर्ती राजा सगर ने अपना 100वां
अश्वमेघ यज्ञ किया तो देवताओं के राजा इन्द्र को अपना राज्य छिन जाने
का भय हुआ। उन्होंने छल कर अश्वमेघ के घोड़े को कपिल मुनि के
आश्रम के पास छिपा दिया। घोडे़ की खोज में राजा सगर के पुत्र
कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे। उन्होंने तप में लीन कपिल
मुनि को परेशान एवं अपमानित किया।

क्षुब्ध होकर कपिल मुनि ने आग्नेय दृष्टि से तत्क्षण सभी
को जलाकर भस्म कर दिया। क्षमा याचना किये जाने पर मुनि ने बताया कि राजा
सगर के पुत्रों की आत्मा को तभी शांति
मिलेगी, जब गंगाजल उनका स्पर्श करेगा। सगर के कई वंशजों
द्वारा आराधना करने पर भी गंगा ने अवतरित होना
स्वीकार नहीं किया। बाद में राजा
भागीरथ को इसमें सफलता मिली। यही
वजह है कि गंगा को भागीरथी गंगा भी
कहा जाता है।
5. देवी गंगा के पृथ्वी पर अवतरण में एक
समस्य़ा थी। पृथ्वी पर उनके अवतरण के दौरान
वेग से भारी विनाश की आशंका थी।
इसलिए भगवान शिव को इस बात के लिए तैयार किया गया कि वह पहले गंगा
की धारा को अपनी जटाओं में बांध लें और अलग-
अलग दिशाओं से धीरे-धीरे उन्हें
पृथ्वी पर उतारें।

6. गंगा का जिक्र सनातन धर्म के सबसे पवित्र और पुरातन ग्रंथ ऋगवेद
में है।
इस ग्रंथ में गंगा को जाह्नवी कहा गया है।

7. गंगा भगवान गणेश की माता के रूप में भी
ख्याति-प्राप्त हैं।
माना जाता है कि भगवान गणपति का जन्म गंगा और पार्वती दोनों
के संयोग से ही हुआ था।

8. गंगा जल की विशेषता है कि यह खुद को साफ
करती रहती है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस
नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते
हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों
को जीवित नहीं रहने देते हैं।
यहां तक कि ब्रिटिश वैज्ञानिक सी. ई. नेल्सन ने गंगा के
सबसे अपवित्र क्षेत्र हुगली से जो सैम्पल लिए थे, वे
भी इंग्लैंड ले जाए जाने तक पूरी तरह फ्रेश थे।

माना जाता है कि ऑक्सीजन की कमी
की वजह से पानी एक समय के बाद खराब होने
लगता है, लेकिन गंगा जल के साथ यह समस्या नहीं है।
9. पाप नाशिनी गंगा। हिन्दुओं की मान्यता है कि
गंगा नदी में सिर्फ एक डुबकी लगाने से
ही उनके जीवन-काल के सारे पाप धुल जाते हैं।

10. गंगाजल में जीवाणु रोधी तत्व होते हैं।
यही वजह है कि इसका पानी कितना
भी गंदा क्यों न हो, इससे संक्रामक बीमारियां
नहीं फैलती हैं।
वर्ष 1986 में ब्रिटिश वैज्ञानिक ई. हैनबरी
हैन्कीन ने गंगाजल की जांच की
थी। उन्होंने कॉलरा के लिए जिम्मेदार विषाणु वैब्रियो कॉलेरा को
गंगाजल में डालकर देखा था। यह विषाणु सिर्फ तीन घंटे में मर
गया। जबकि सामान्य तौर पर इस तरह के बैक्टिरिया को मरने में 48 घंटे का
समय लगता है।

11. इसे गंगा जल की महिमा ही तो कहेंगे। वर्ष
1927 एक फ्रेन्च बायोलॉजिस्ट ने बताया कि गंगा में तैरते शवों में कोई
कीटाणु नहीं होते।

12. आपने मुहावरों में सुना होगा, उल्टी गंगा बहाना। यह
मुहावरा नहीं, सच है।
बनारस में गंगा उल्टी बहती है। दक्षिण से
उत्तर की तरफ। हिन्दू धर्म में इसे मंगलसूचक और शुभ
माना जाता है।

13. वेदों में कहा गया है कि गंगा पर्वतराज हिमालय की
पुत्री हैं।

14. मोक्ष-दायिनी गंगा। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि अगर
किसी मृत व्यक्ति का अवशेष गंगा में विसर्जित किया जाए तो
वह व्यक्ति सीधा स्वर्ग जाता है।

15. पवित्र गंगाजल को आमतौर पर काशी से लाते हैं। इसे तांबे
के पात्र में सुरक्षित रखने का रिवाज है।
इसका उपयोग किसी भी व्यक्ति के मृत्यु के वक्त
करते हैं।

16. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक गंगा को त्रिलोक-पथ-गामिनी
कहा गया है।
अर्थात् गंगा तीनों लोकों में मौजूद हैं। तीनों लोकों का
तात्पर्य है स्वर्ग, नर्क और पृथ्वी।

17. गंगा में डुबकी लगाने से न केवल बाहरी दूषण
से मुक्ति मिलती है, बल्कि लोगों को आंतरिक शुद्धि
भी मिलती है।
यहां स्नान करने से श्रद्धालुओं में न केवल रोग से लड़ने की
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, बल्कि आंतरिक रूप से वे धार्मिक
होते हैं।

18. गंगा सागर। गंगा जहां बंगाल की खाड़ी में
समुद्र से मिलती है।
मकर संक्रान्ति के दिन लाखों की संख्या में लोग यहां मुक्ति
की आस में डुबकी लगाते हैं।

19. गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि
‘बहती हुई नदियों में मैं गंगा हूं’।

20. इलाहाबाद एक ऐसी जगह है जहां गंगा और यमुना का
मिलन होता है।
हिन्दुओं के लिए बेहद पवित्र मानी जाने वाली इस
जगह को संगम कहते हैं। यहां प्रत्येक 12 साल में एक बार कुम्भ
मेला का आयोजन किया जाता है।
21. गंगा नदी में मछली की
करीब 140 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से कई
तो लुप्त होने की कगार पर हैं।

22. गंगा और ब्रह्मपुत्र के डेल्टा क्षेत्रों में कभी-
कभी अजीब आवाजें सुनाई देती हैं।
इस तरह की आवाजें दुनिया के अलग-अलग नदियों के डेल्टा
क्षेत्रों में सुनाई पड़ती रही हैं। भारत में ऐसा
सिर्फ गंगा नदी के डेल्टा क्षेत्र में होता है।

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