भारतीय वैज्ञानिको की दुंनिया हुई दीवानी

भारतीय वैज्ञानिकों की दुनिया हुई दीवानी, इसरो से काम करवाने के लिए देशों में होड़, अमेरिका की उड़ी नींद..!
भारत इस साल सात देशों के 25 उपग्रहों को प्रक्षेपित करने वाला है, जिसमें सबसे ज्यादा अमेरिका का 12 उपग्रह शामिल हैं, जबकि भारत ने अभी तक पीएसएलवी के जरिये 21 देशों के 57 विदेशी उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण कर चुका है।
कुलमिलाकर स्पेस मार्केट में भारत की धाक बढ़ती जा रही है। ये कामयाबी इसलिए भी खास है क्योंकि एक समय अमेरिका सहित कुछ विकसित देश भारत को स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बिलकुल भी मदद देनें को तैयार नहीं थे ऐसे हालात में इसरों ने अपने अंतरिक्ष अभियानों को न सिर्फ जिंदा रखा, बल्कि कम लागत में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए उपग्रहों के प्रक्षेपण का शतक भी लगा दिया।
अंतरिक्ष की दुनियां में भारत : स्पेस शटल की संचालित उड़ानों के लिए कोशिश करने वाले चंद देशों में अमेरिका, रूस, फ्रांस और जापान शामिल हैं । अमेरिका ने अपना स्पेस शटल 135 बार उड़ाया और वर्ष 2011 में उसकी अवधि खत्म हो गई। उसके बाद से वह अमेरिका निर्मित रॉकेटों में अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता खो चुका है। रूस ने एक ही स्पेस शटल बनाया और इसे बुरान कहकर पुकारा। वह वर्ष 1989 में एक ही बार अंतरिक्ष में गया!
इसके बाद फ्रांस और जापान ने कुछ प्रायोगिक उड़ानें भरीं और उपलब्ध जानकारी के अनुसार , ऐसा लगता है कि चीन ने कभी स्पेस शटल के प्रक्षेपण का प्रयास नहीं किया। भारत ने 15 साल से भी पहले से अपनी स्पेस शटल बनाने के विचार को अपना लिया था, लेकिन इसकी शुरुआत लगभग पांच साल पहले ही हुई, तब इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के एक समर्पित दल ने आरएलवी-टीडी को हकीकत में बदलना शुरू किया।
कुलमिलाकर इसरो द्वारा स्वदेशी स्पेस शटल की लॉन्चिंग एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है, इसकी सफ़लता अंतरिक्ष में भारत के लिए संभावनाओ के नए दरवाजें खोल देगी। अपने स्पेस कार्यक्रमों की लगातार सफ़लता से दुनिया में इसरों की स्तिथि बहुत मजबूत हुई है और वो दिन दूर नहीं है जब भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में दुनियाँ भर में शीर्ष पर होगा।
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shashank/isro-rlv-td-486126.html

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